सिमडेगा के जंगलों में ‘पुष्पा राज’! 10 दिनों में 10 हजार पेड़ काट ले गए तस्कर; मगर खामोश है वन विभाग!

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हाइलाइट्स

सिमडेगा के जंगलों में धड़ल्ले से पेड़ों को काटकर ले जा रहे लकड़ी के तस्कर.
वन विभाग के दावों को ठेंगा दिखाते सिमडेगा में बेधड़क हो रही पेड़ों की कटाई.
भद्रा जंगलों में अंधाधुंध कटाई पर वन विभाग की खामोशी से उठे कई सवाल.

रिपोर्ट- श्रीराम पुरी
सिमडेगा. हाल के दिनों में फिल्म ‘पुष्पा’ (Pushpa Movie) काफी चर्चित रही है. ‘पुष्पा’ में दिखाई गई लाल चंदन और उसकी तस्करी की कहानी रियल डाकू की स्टोरी पर आधारित है. Allu Arjun की Pushpa में जो रोल अल्लू अर्जुन ने पुष्पा के रूप में कुख्यात वीरप्पन का रोल किया है; वह तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों का बड़ा तस्कर था. हाल में झारखंड के सिमडेगा के जंगलों में कुछ ऐसा ही सीन नजर आ रहा है जहां महज 10 दिनों में ही 10 हजार से अधिक पेड़ तस्करों ने काट लिए हैं. फिल्म पुष्पा और सिमडेगा के भद्रा जंगल की कहानी में बड़ा अंतर यही है कि यहां अभी किसी वीरप्पन का पता नहीं लग पाया है. लेकिन, यह हकीकत है कि यहां जंगलों का धड़ाधड़ सफाया होता जा रहा है.

सिमडेगा में ‘पुष्पा राज’ किस कदर हावी है इसका सहज अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर दूरी पर लकड़ी तस्कर ने जंगल से 10 हजार पेड़ों को काट कर ले गए और वन विभाग को भनक तक नहीं लगी. न्यूज 18 को जब इसकी जानकारी हुई तो जंगल तक जाकर लकड़ी तस्करी की इस हकीकत जानने की कोशिश की. बीरू बड़का भद्रा पंहुचते ही जंगल की शुरुआत से अंदर तक जंगलों में कई पेड़ों के कटे ठूंठ दिखे. जंगलों में कटे पेड़ सिमडेगा के जंगलों में ‘पुष्पाराज’ कायम रहने की कहानी बयां कर रहे हैं.

आंखों के सामने दिख रही हकीकत
न्यूज 18 की टीम के साथ जंगल तक गए पूर्व पंचायत समिति सदस्य मुकेश फंडा भी चल रहे थे. उन्होंने बताया कि भद्रा के पास वे लोग विगत 31 दिसंबर को पिकनिक मनाने आए थे. उस समय तक यहां पेड़ नहीं कटे थे. लेकिन, दो दिन पूर्व उन्हें यहां पेड़ कटने की सूचना मिली थी. तब वे इस जंगल के रक्षक प्रभाकर दास से बात की और उनके साथ यहां का मुआयना भी किया था. उन्होंने खुद वन विभाग को भी इसकी सूचना दी थी, लेकिन वन विभाग से अभी तक कोई भी यहां तक देखने नहीं आया. उन्होंने कहा ये जंगल सिर्फ और सिर्फ वन विभाग की लापरवाही के कारण कट रहे हैं.

वन विभाग की लापरवाही नहीं तो और क्या?
उनकी बातों को सुनने के बाद न्यूज 18 ने वन रक्षा करने वाले प्रभाकर दास से भी इस संदर्भ में बात की. प्रभाकर दास ने स्पष्ट कहा कि वन विभाग लंबे समय से उन्हें वन की रक्षा की जिम्मेदारी दी थी. लेकिन, विगत एक वर्ष से वन विभाग उन्हें उनका मेहनताना नहीं दिया है. वे जब रेंजर से पैसा मांगने गए तो रेंजर उनको वन रक्षा करने से मना करते हुए कहा कि पैसे आएंगे तब मिलेगा. उन्होंने कहा रेंजर द्वारा मना किए जाने के बाद वे वन रक्षा करना छोड़ दिया है जिससे यहां तस्कर हावी हो गए हैं. उन्होंने कहा जब तक वे वन की रक्षा किए तब तक एक पेड़ भी नहीं कटे थे. लेकिन वन विभाग की लापरवाही से वे अब वन रक्षा से अलग हुए और जंगल कटने लगे.

ऐसे कैसे तस्करों से बचेंगे हमारे जंगल?
न्यूज 18 के साथ इस जंगल तक गए समाजसेवी प्रेम कुमार ने कहा कि सिमडेगा के ग्रामीण वनोपज (वन से मिलने वाले संसाधनों) पर निर्भर हैं. लेकिन, इस तरह जंगल कटते देख कर यही लग रहा है कि इनकी रोजी-रोटी को छीनकर तस्कर ले जा रहे हैं और वन विभाग कुंभकर्णी नींद सोया है. प्रेम ने कहा कि मुख्यालय के इतने नजदीक के जंगल का ये हाल है कि जंगल कट रहे और वन विभाग को पता नहीं चल रहा है; तब दूर के जंगल की खबर तो शायद ही वन विभाग को मिलती होगी.

वन विभाग को देने होंगे कई सवालों के जवाब
अब इतने नजदीक के जंगल से कटे पेडों की ये हकीकत बहुत से सवाल भी खड़े करने लगे हैं. क्या वन विभाग वाकई लकड़ी तस्करों से वाकई में अनजान है? जब दो दिन पूर्व वन विभाग को सूचना मिली तो अब तक कोई भी क्यों नहीं आया है? क्या ये वाकई वन विभाग की लापरवाही ही है या फिर मामला कुछ और है? दाल में कुछ काला है या फिर पूरी दाल ही काली है, ये तो जांच का मामला है, लेकिन इस तरह कटते जंगल आने वाले समय में बड़े खतरे को भी इशारा कर रहे हैं. बता दें कि बीते वर्ष इसी जनवरी माह में पेड़ कटाई के नाम पर बेसराजारा में मॉब लिंचिंग की बड़ी हृदय विदारक घटना घटी थी. फिर से जंगल कट रहे हैं और वन विभाग की लंबी खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है.

Tags: Allu Arjun, Jharkhand news, Smuggling

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