आखिर चाय बेचने को क्यों मजबूर हुईं नेशनल लेवल की तीरंदाज, क्या है दीपिका कनेक्शन? पढ़ें पूरी कहानी

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राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज रह चुकीं दीप्ति कुमारी चाय बेचने को मजबूर.
रांची के अरगोड़ा चौक में गुमनाम होकर चाय बेचने को मजबूर दीप्ति.
4.50 लाख का धनुष टूटने के साथ ही टूट गया सपना, मदद की गुहार.

रिपोर्ट- आकाश साहू
लोहरदगा. ये कहानी है लोहरदगा की राष्ट्रीय तीरंदाज दीप्ति कुमारी की जो कभी अपने सटीक निशाने के लिए देशभर में जानी जाती थीं. मगर; आज गुमनाम होकर आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं. अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज दीपिका कुमारी से कभी तीरंदाजी के गुर सीखने वाली दीप्ति आज चाय बेचने को मजबूर हैं.

दरअसल, किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है कि वो अपने देश के लिए खेले और अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी प्रतिभा का परचम लहराए. लेकिन, देश के लिए पदक जीतकर लाने का सपना नेशनल आर्चरी प्लेयर दीप्ति कुमार के धनुष टूटने के साथ ही खत्म हो गया. गरीबी के कारण लाखों रुपये का धनुष टूटने के बाद दीप्ति इस सदमे से कभी उबर नहीं पाई और न ही इस मुश्किल घड़ी में किसी ने उसकी मदद की. नेशनल और स्टेट चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली दीप्ति आज लोहरदगा से अपने सपनों को छोड़कर रांची के अरगोड़ा चौक में चाय बेचकर गुजारा कर रही हैं.

बता दें कि लोहरदगा जिला के राजा बंगला निवासी बजरंग प्रजापति की पुत्री दीप्ति कुमारी, साधारण और गरीब परिवार में जन्मीं. पिता किसान हैं, बड़ी मुश्किल से घर चलाते हैं फिर भी बेटी को पढ़ा-लिखाकर अच्छी शिक्षा दी. बेटी के हुनर के लिए पिता ने पैसों की कमी नहीं होने दी. उसे सरायकेला खरसावां ट्रेनिंग सेंटर भेजने के उन्होंने कर्ज का बोझ भी उठाने को तैयार हो गए.

पिता की आंखों में देखे गए सपने को दीप्ति अपनी कड़ी मेहनत और लगन से साकार कर रही थीं. सरायकेला खरसावां के प्रशिक्षण केंद्र में दीप्ति कुमारी को प्रशिक्षण मिला. यहां उनकी वर्तमान अंतरराष्ट्रीय आर्चरी प्लेयर दीपिका कुमारी से मुलाकात हुई थी. दीपिका ने दीप्ति के गेम के बारे में सुना था, लेकिन इस ट्रेनिंग सेंटर में उसे खेलते हुए देखा और उससे प्रभावित हुईं. दीपिका से मिलने के बाद दीप्ति ने भी अपनी हुनर को धार देते हुए तय कर लिया कि वो भी तीरंदाजी के क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल करेंगी. इस बीच दीप्ति लगातार कई नेशनल और स्टेट चैंपियनशिप खेलते हुए आगे बढ़ती रहीं. लेकिन एक दिन कोलकाता के ट्रायल सेंटर से उसे निराश और हताश होकर लौटना पड़ा.

दरअसल, वर्ल्ड कप के लिए वर्ष 2013 में कोलकाता के सेंटर में ट्रायल चल रहा था. जहां पर दीप्ति कुमारी भी शामिल होने गई थी. इस ट्रायल में चयन होने पर उसके आगे खेलने का सपना पूरा होता. लेकिन, इसी दौरान इस सेंटर में किसी ने उसकी साढ़े चार लाख रुपये का धनुष तोड़ दिया. धनुष के टूटने के साथ ही दीप्ति के सपनों पर ग्रहण लग गया. जिसके बाद दीप्ति को निराश होकर वापस लौटना पड़ा.

काफी प्रयास के बाद भी फिर से नेशनल खेलने को लेकर हिम्मत नहीं जुटा सकीं और न ही इस दौरान किसी ने उसकी मदद की. न ही भारतीय तीरंदाजी संघ ने मदद की और ही कभी सरकार की ओर से मदद मिल सकी. कर्ज में लिए धनुष के पैसे चुकाने के लिए दीप्ति रांची में अब अपना सपना को भूल कर चाय बेचती है. दीप्ति का भाई अभिमन्यु ऑटो चलाता है, पिता खेती करते हैं. पूरे परिवार का इसी से गुजारा हो रहा है. खुद दीप्ति अब रांची के अरगोड़ा में अपनी भाभी के साथ चाय बेचती हैं.

दीप्ति के पिता बजरंग प्रजापति ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा की अगर सरकार पहल करे तो उसकी बेटी फिर से तीरंदाजी कर सकती है और देश के लिए कुछ कर सकती है. दीप्ति की मेहनत बर्बाद न हो और खिलाड़ियों का मनोबल बना रहा. वहीं दीप्ति ने भी सरकार से गुहार लगाते हुए धनुष और एक जॉब की मांग की है ताकि आने वाले समय में वे राज्य और देश के लिए कुछ कर सके और आने वाले पीढ़ियों को एक अच्छा सीख मिल सके और लोगो में खेल के प्रति सम्मान बना रहे.

Tags: Archery Competition, Deepika kumari, Jharkhand news, Lohardaga news

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